पंजाब के पुलिस महानिदेशक (DGP) दिनकर गुप्ता IPS अब पद पर बने रहेंगे या हटा दिए जाएंगे, यह जल्द तय होने जा रहा है। जानकारी मिली है कि सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल यानि कैट में इस विवाद से जुड़ी सुनवाई पूरी हो गयी है। बताया जा रहा है कि कैट के अध्यक्ष एल नरसिम्हा रेड्डी की अध्यक्षता और सदस्य एम जमशेद पर आधारित दो सदस्यीय पीठ ने बुधवार को फैसला सुरक्षित रख लिया। बता दे कि DGP नियुक्त दिनकर गुप्ता के खिलाफ 1985-बैच के अधिकारी मोहम्मद मुस्तफा और 1986-बैच के अधिकारी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय ने केस दायर किया। दोनों का दावा है कि मानदंडों को पूरा करने के बावजूद उनको पंजाब का DGP बनाने के समय दरकिनार किया गया। राज्य के DGP के रूप में नियुक्ति के लिए संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को अनुचित पैनल में 1987 बैच के दिनकर गुप्ता का नाम भेजा गया। यह भी दावा किया कि गुप्ता का नाम उनके सहित पांच वरिष्ठ अधिकारी बायपास किये गए। मुस्तफा ने कहा कि गुप्ता की नियुक्ति मैलाफाइड आधार पर की गई थी और वह (मुस्तफा) इस पद के लिए अधिक योग्य थे, क्योंकि उच्चतम न्यायालय के मानदंडों के अनुसार, वह वरिष्ठ थे, उनके पास बहुत अच्छा सेवा रिकॉर्ड और अधिक अनुभव था। मुस्तफा ने कहा कि यूपीएससी को अंधेरे में रखा गया था क्योंकि इसमें निहित स्वार्थों के कारण शीर्ष पद के लिए अधिकारियों की सिफारिश की गई थी। मुस्तफा ने कहा, "यूपीएससी के पास कोई ठोस कारण नहीं है कि उसने वरिष्ठ अधिकारियों की सिफारिश क्यों नहीं की।" सुप्रीम कोर्ट के वकील निर्देश गुप्ता ने कैट पीठ के समक्ष पंजाब सरकार का प्रतिनिधित्व किया, जबकि पुनीत बाली ने दिनकर गुप्ता का प्रतिनिधित्व किया। मुस्तफा और चट्टोपाध्याय का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता राजीव आत्म राम और पीएस पटवालिया ने किया। अपर महाधिवक्ता अनु चतरथ यूपीएससी के लिए उपस्थित हुए।